Saturday, March 26, 2011

चले जाते हैं ........

दिल से करो कोशिश तो बनते हैं रिश्ते
इश्क कब का रुसवा हुआ हमसे.....
अब हम कोशिशों से जीए जाते हैं

बेवाफईयों से उनकी हमने भी एक सौदा कर लिया
हम उनकी बेवफाई.....................
और वो हमारी वफ़ा को नज़रंदाज़ किये जाते हैं

उनका दामन पाक तो था हमेशा
वो हमारी नेकी ...........
उनके जुर्म हम अपने सर लिए जाते हैं

रुसवाई कम ना मिली हमें उनसे
याद करना तो दूर..........
मिल के अब नाम पूछे जाते हैं

उनकी सलामती पर बैर खुदा से हमने कर लिया
उन्हें मिली जन्नत ...................
और हम काफिर कहे जाते हैं

इश्क की गली में आज भी घर है उनका
बस हम ही आज ..............
ज़रा उस दर पे कम जाते हैं

---------------------------------------- नीलाभ


--Expressions: The most common topic for any poet, brilliantly explained by many is "Love".... But Love stills has age old definitions and often depicts another never changing emotion pain.... So this effort describes yin-yang relationship between Love and Pain .... Just another expression.

काफिर = non- believer, atheist