Thursday, April 14, 2011

जेब में रखा आखिरी सौ का नोट.......

जेब में रखा आखिरी सौ का नोट,
.... देख कर मुझे मुस्कुराता है
हँस कर पूछता है.. तारीख क्या है आज बता ज़रा
उँगलियों से ज्यादा, हैं दिन इस महीने के बाकी
मेरी बात पे ना हो यकीन, तो गिन के देख ले आज साकी
घबराया हुआ.... मैं जोड़ता हूँ तारीखें
इस मुसीबत से निकलने की, ढूँढता हूँ मैं तरकीबें
पर हो जो खाली तरकश, क्या ख़ाक निशाना सीखें
महीने का पहला दिन फिर क्या कहूं
..........कितना याद आता है
जेब में रखा आखिरी सौ का नोट,
.... देख कर मुझे मुस्कुराता है


अचानक मुझे हर दिन, एक सवाल सा लगता है
बचा हुआ महीना, किसी बुरे ख़याल सा लगता है
सोचता हूँ...... गुज़ारा कैसे होगा आगे
देगा कौन उधार, इसी ख़याल में मन जाने कहाँ भागे
खर्च करू या बचत, इस बात की जंग अब जोर पकडती है
बस की कतार क्यों लम्बी....... कुछ ज्यादा आज लगती है
घिसे हुए जूतों पे और जोर देना.... अब तो मजबूरी लगती है
मेरे माथे पे देख के शिकन की लकीरें
............... वो इठलाता है
जेब में रखा आखिरी सौ का नोट,
.... देख कर मुझे मुस्कुराता है


यार दोस्त भी अब............. पराये से लगते हैं
जो वापस मांगते हैं उधार, वो जल्लाद के साए लगते हैं
मुस्कुराती सखियों को देख......... अब नज़रें फेर लेता हूँ
चाय पर चलने को वो पूछें, इससे पहले मैं बिल जोड़ लेता हूँ
फिर मेरे ज़हन में ख्याल....... उन सैकड़ों परिंदों का आता है
ख्वाब उड़ने का आँखों में रख, जिन्हें आसमान नहीं मिल पाता है
छोटा ही सही मेरे नसीब में........ मेरा आसमान तो आता है
थोड़ा ही सही पर इस आखिरी नोट को देख
..............अब सुकून सा आता है
जेब में रखा आखिरी सौ का नोट,
.... देख कर मुझे मुस्कुराता है

---------------------------------------- नीलाभ

तरकश = quiver

--Expressions: Somethings in life can't be measured and what can be measured doesn't always gives life a meaning. A thought which tries to figure out balance between both these facts and ends up bringing a smile of satisfaction.
This idea emerged with a random funny thought when the bills weighed more than the amount I had and the idea finally flourished to what you read.