Tuesday, June 23, 2015

बातें कुछ नयी सी पुरानी

किसी रोज़ एक नयी बात सी हुई थी
बचपन के गुज़रने की आहट सी हुई थी
उस रोज़ तुझे देखा था पहली बार मैंने नज़रें चुरा के
तू भी शायद मुझे देख कर हंसी थी

याद नहीं ठीक से सब कुछ
पर एक चाहत सी ज़रूर बसी थी दिल में
कभी मैं तेरा हाथ यूँ ही थामू
एक शाम तुझे मुस्कुराता देख ग़ुज़ारू

फिर एक रोज़ कुछ और भी हुआ था
तूने मुस्कुराकर मुझसे कुछ कहा था
उमर के हिसाब से एक दशक और बीत चुका था
पर मैं राह के उसी मोड़ पे रुका था

कुछ बातों सवालों और जवाबो के बीच
वो हंसी और मुस्कराहट खिली थी
कुछ कसमों और वादों से एक शाम हमने लिखी थी
ज़िन्दगी कुछ ख्वाब से दिखा आगे बढ़ चली थी

आज इस रोज़ जो वो सारी बातें याद करते हैं
हँस कर हम एक दूसरे को यूँ ही देखते हैं
बातें जो आज भी हमारी खत्म नहीं हैं होती
और शामें बस तेरा हाथ थामे ही हैं गुजरती

---------------------------------------- नीलाभ

Expression :- Though you always asked to write something for us and I never did that..
Though I hesitate to share what I feel for you on social media..
Yet after 3 years of the sacred vows and over a decade long relationship of togetherness I may be a chatterbox but I am still at loss of words when I write about us..
Yet I'll make an attempt.. So this one is for you
Happy Anniversary Wifey !!