Saturday, May 9, 2020

कलम से गुफ्तगूं

बड़े दिनों बाद 
आज फिर यूँ कलम उठाया है,
कुछ कहने की आस लिए
ख़यालों को आज फिर जगाया है,

हाथों में लिए उसे 
जो हरफ़े लिखने की कोशिश की,
सोच ना था रूठकर 
वो भी कभी अड़ जाएगी,
ज़िद में वो आज
मुझसे भी आगे बढ़ जाएगी,

वो कहती है अब 
और ना लिख पाऊँगी,
बहुत कुछ कहा है तूने मुझसे,
अब औरों को ना कह पाऊँगी,
तेरे ख़्यालों को अब 
मैं आवाज़ ना दे पाऊँगी,

हाँ मैं वही हूँ...
जो कभी तेरे विचारों के लहरों में
जाने कितने दूर बह सी जाती हूँ,
कभी तेरे आँसुओं को समेट कर
स्याहियों में मैं ही समाती हूँ,
कभी किसी निर्झर सा स्वछन्द
मैंने तेरी अठखेलियों में साथ है दिया,
कभी तेरे भीतर सहमते विचारों को
मैंने भयहीन कर ब्रह्म का अस्त्र तुझे दिया,
पर यूँ ही आगे ना कर पाऊँगी,
वो फिर कहती है
अब और ना लिख पाऊँगी,

 हाँ.. मैं और ना लिख पाऊँगी,
 उन शब्दों को तेरे लिए 
ना मैं अब अपने रंगों से सजाऊँगी,
 कभी तेरे लिए रोज़ नए पंख बुने तो हैं मैंने
 पर अब तुझे और उड़ने को आकाश ना दे पाऊँगी,
वो कुछ ठहरकर कहती है
अब और ना लिख पाऊँगी,

फ़र्क क्या पड़ता है वो पूछती है,
ग़र मैं अब ना भी लिखूँ,
फ़र्क क्या पड़ता है अगर
अब तेरी आवाज़ ना भी बनूँ,
तेरे ख़्याल अगर बस तेरे ज़हन में रहे तो क्या बुरा है,
ग़र उन्हें अब कोई ना भी पढ़े तो कौन से ग़ुनाह है,

मैं उस रूठे साथी की ओर मुस्कुरा कर देखता हूँ,
जवाब तो कई हैं मेरे पास पर फिर भी सोचता हूँ,
जिस शिद्दत से मैंने कभी वो पहले शब्द लिखे थे अपने,
उसी शिद्दत से आज उसे वापस कहता हूँ,

फ़र्क ये नहीं है कि कोई पढ़े या ना पढ़े मेरे शब्दों को,
बात ये भी नहीं की महफ़िल बैठी है कहीं
सुनने मेरे नग़मों को,
क्योंकि मैं कोई सूर्य नहीं हूँ,
जो हर सुबह एक विशाल परिदृश्य को प्रकाश से भर दूँ,
ना ही मैं वो तरिणी हूँ,
जो पूरे गाँव की प्यास तृप्त कर दूँ,

तो फ़र्क शायद ना भी पड़े
मैं अगर ये मान भी लूँ कुछ पलों के लिए,
तो भी एक ग़म रह जाएगा,
कहीं एक छोटा से दिया
किसी आंगन को ज़रूर रौशन कर देता,
कहीं कुछ ओस की बूदें थी
जो एक चकोर की तृष्णा से मिल जातीं,
हाँ कहने को बहुत कुछ था 
और शायद मेरी आवाज़ सुनी भी जाती,
अगर मेरी प्रिये, आज तू यूँ रूठ कर ना बैठ जाती ।।

------------------------------------------- नीलाभ

Expression - Someday when I may loose myself and my love refuses to love me back. I may have this chat with my first love 'my poetry' only to convince her to reciprocate my love.

 हरफ़े = albhabets
निर्झर = spring / waterfall
स्वछन्द = free 
अठखेलियाँ = the state of being lively, spirited playful, carefree
शिद्दत = passionate
नग़मा = songs
तरिणी = river
तृष्णा = thirst

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